मिलेगी व्यापार में सफलता करें हनुमान चालीसा का पाठ

गुरुजी, मेरा व्यापार नहीं चल रहा है, उपाय बताएं?

– महेंद्र पांडे (जन्म- २४ जून १९६६, समय रात्रि ८.३० बजे, स्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)

महेंद्र जी, आपका जन्म शुक्रवार के दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि सिंह बन रही है। सिंह राशि के लोग बड़े पुरुषार्थी और मेधावी होते हैं। वर्तमान समय में आपके व्यापार में बेनिफिट इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। व्यापार से पूरी तरह से लाभ पाने के लिए आपको शनि का उपाय करना आवश्यक है। इसके लिए आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

गुरुजी, मेरी पहली शादी टूट गई है। दूसरा विवाह कब तक होगा और दूसरे विवाह में वैवाहिक सुख मिलेगा या नहीं?

– शकुंतला देवी (जन्म- ४ अक्टूबर १९९२, समय- रात्रि ११.३५, स्थान- कालीना, मुंबई

शकुंतला जी, आपका जन्म रविवार के दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मकर बन रही है। यदि लग्न के आधार पर हम देखें तो मिथुन लग्न में आपका जन्म हुआ है और लग्न में ही मंगल के साथ केतु बैठा हुआ है। इसके साथ ही अष्टम भाव पर चंद्रमा के साथ शनि के बैठे होने से आपकी कुंडली मांगलिक है। आपकी कुंडली में अनंत नामक कालसर्प योग बना हुआ है। इस कालसर्प योग के कारण ही पहले विवाह में पति के साथ वैचारिक मतभेद आदि के चलते आपका वैवाहिक जीवन ठीक नहीं था, लेकिन दूसरे विवाह से पहले आपको कालसर्प योग की पूजा जरूर करवाना चाहिए। महादशा के आधार पर अगर हम देखें तो इस समय राहु की महादशा में केतु का अंतर समाप्त हो गया है। जल्द ही कोई अच्छा सा रिश्ता आपको मिलेगा और उसी के साथ आपका विवाह सुखमय हो जाएगा। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए आप संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

गुरुजी, मेरा करियर कैसा रहेगा और विकास का मार्ग कैसे खुलेगा?

– विमल तिवारी (जन्म- १३ अक्टूबर १९९६, समय- रात्रि ३.५५, स्थान – मुंबई)

विमल जी, आपका जन्म रविवार के दिन चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि तुला बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम देखें तो सिंह लग्न में आपका जन्म हुआ है और सिंह लग्न का स्वामी सूर्य आपकी कुंडली में द्वितीय भाव पर राहु के साथ में बैठा है। राहु के साथ में यदि सूर्य बैठता है तो ग्रहण योग बना देता है और बुध यदि बैठता है तो जड़ नामक योग बना देता है। आपकी कुंडली में कुलिक नामक कालसर्प योग भी बन रहा है। मंगल भाग्य भाव का स्वामी है जो आपकी कुंडली में नीच राशि का हो करके १२वें भाव पर बैठा हुआ है और १२वें भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण दृष्टि से पराक्रम भाव को देख रहा है। अपने किसी भी कार्य को करने आप बार-बार प्रयास करते हैं कार्यकालका निशियात आम बात है प्रयास करते के नामक कालसर्प योग की वैदिक पूजा आपको करवानी चाहिए। यदि महादशा के आधार पर हम देखें तो गुरु की महादशा में बुध का अंतर चल रहा है। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। Maa Savitri Jyotish Anusandhan Kendra की टीम की ओर से आपको शुभकामनाएं।

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